Wednesday, October 8, 2025
HomeNewsचुनाव आयोग पर प्रोपेगेंडा का पर्दाफाश!

चुनाव आयोग पर प्रोपेगेंडा का पर्दाफाश!

“हैलो दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल पर, जहां हम सच को बेनकाब करते हैं और झूठ की पोल खोलते हैं! आज हम लेकर आए हैं एक ऐसी कहानी, जो चुनाव आयोग पर प्रोपेगेंडा का पर्दाफाश करती है और  हिंदुस्तान की सियासत और लोकतंत्र पर सवाल उठाने की साजिश को उजागर कर देगी! जी हां, हम बात कर रहे हैं राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के बेबुनियाद दावों की, जिसे न्यूयॉर्क टाइम्स, अल जजीरा, वाशिंगटन पोस्ट और ABC जैसे विदेशी मीडिया हाउसेज ने मिलकर हवा दी! ये लोग भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बदनाम करने के लिए एकजुट हो गए हैं, और इसके पीछे की साजिश इतनी गहरी है कि आप सुनकर दंग रह जाएंगे! आज हम राहुल गांधी और इन विदेशी मीडिया हाउसेज को जमकर एक्सपोज करेंगे।

हर वो सवाल उठाएंगे, जो आपके मन में उमड़ रहा है। तो तैयार हो जाइए, क्योंकि ये स्टोरी इतनी सनसनीखेज है कि आप स्क्रीन से नजरें नहीं हटा पाएंगे! और अगर आपको लगता है कि ये कहानी धमाकेदार होने वाली है, तो अभी वीडियो को लाइक करें, अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, और बेल आइकन दबाकर चैनल को सब्सक्राइब करें। और हाँ अगर आपको हमारी विडियो पसंद आई तो हमे आप फ़ोन पे गूगल पे, या पेटीएम् के माध्यम से नीचे दिए नम्बर पर सहायता राशि देकर हमे और हमारे चैनल को आर्थिक रूप से सशक्त बनायें 9911955719

“दोस्तों, पहले तो जरा इस कहानी की शुरुआत समझिए। राहुल गांधी, जो खुद को भारत का अगला बड़ा नेता समझते हैं, पिछले कुछ समय से एक नया राग अलाप रहे हैं। वो कहते हैं कि देश में वोट चोरी हो रही है! जी हां, आपने सही सुना। 7 अगस्त 2025 को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने दावा किया कि उनके पास ‘पक्का सबूत’ है कि इलेक्शन कमीशन और सत्ताधारी बीजेपी मिलकर 2024 के लोकसभा चुनाव में धांधली कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में उनकी पार्टी ने एक ‘आंतरिक सर्वे’ किया, जिसमें 1,00,250 वोटों की चोरी पकड़ी गई। दोस्तों, इतना बड़ा दावा, इतना बड़ा आंकड़ा, लेकिन सबूत? वो तो गायब! राहुल जी ने कहा कि उनकी पार्टी को कर्नाटक में 16 सीटें मिलनी चाहिए थीं, लेकिन सिर्फ 9 मिलीं। और इसका कारण? वोट चोरी! लेकिन जब उनसे सबूत मांगे गए, तो उनकी बोलती बंद हो गई।

“”और यही नहीं, राहुल गांधी ने इलेक्शन कमीशन पर फर्जी मतदाता बनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने मतदाता सूचियों में ‘मकान नंबर 0’ जैसी विसंगतियों का हवाला दिया। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली में भी ऐसी ही विसंगतियां पाई गईं! दोस्तों, ये क्या माजरा है? एक तरफ राहुल जी फर्जी वोटरों का रोना रो रहे हैं, और दूसरी तरफ उनके अपने क्षेत्र में भी यही गड़बड़ियां सामने आ रही हैं।

सवाल ये है—क्या राहुल गांधी अपने ही दावों में उलझ गए हैं? या फिर ये सब एक सोची-समझी साजिश है, जिसका मकसद है भारत के लोकतंत्र को बदनाम करना?””और सबसे बड़ी बात, इलेक्शन कमीशन ने राहुल गांधी से कहा कि अगर उनके पास सबूत हैं, तो वो शपथ पत्र देकर अपनी बात साबित करें। लेकिन राहुल जी ने शपथ पत्र देने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा कि एक नेता के तौर पर उनके बयान को ही शपथ माना जाए। दोस्तों, ये क्या मजाक है? अगर आपके पास सबूत हैं, तो सामने लाइए! और अगर नहीं हैं, तो ये बेबुनियाद आरोप क्यों? क्या ये सिर्फ सियासी ड्रामा है, जिसका मकसद है लोगों का ध्यान भटकाना और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाना?

“अब आते हैं इस कहानी के सबसे सनसनीखेज हिस्से पर। राहुल गांधी का ये ‘वोट चोरी’ का दावा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा। न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, अल जजीरा और ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन जैसे बड़े-बड़े विदेशी मीडिया हाउसेज ने इस दावे को हवा देना शुरू कर दिया। दोस्तों, ये कोई इत्तेफाक नहीं है।

ये एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है, जिसका मकसद है भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को दुनिया भर में बदनाम करना!””11 अगस्त 2025 को, INDI गठबंधन के नेताओं ने संसद से लेकर इलेक्शन कमीशन के दफ्तर तक एक विरोध मार्च निकाला। इस मार्च की इजाजत तक नहीं ली गई थी, और जब पुलिस ने इन नेताओं को हिरासत में लिया, तो न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे हेडलाइन बनाया—‘चुनावी अनियमितताओं का विरोध करने पर भारतीय सांसदों को हिरासत में लिया गया।’

दोस्तों, जरा सोचिए! बिना इजाजत के मार्च निकालो, पुलिस बैरिकेड्स पर चढ़ो, हंगामा करो, और जब पुलिस कार्रवाई करे, तो उसे दबाव की कार्रवाई बता दो! ये कैसी पत्रकारिता है?””वाशिंगटन पोस्ट ने तो और भी शातिर चाल चली। उसने बिहार में इलेक्शन कमीशन की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को ‘विवादास्पद मतदाता सूची पुनरीक्षण’ करार दे दिया। दोस्तों, ये SIR प्रक्रिया क्या है? ये एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें मतदाता सूची से फर्जी, मृत, या गैर-मौजूद लोगों के नाम हटाए जाते हैं। बिहार में इस प्रक्रिया में 18 लाख मृत लोगों के नाम, 7 लाख डुप्लीकेट नाम, और 26 लाख ऐसे लोगों के नाम पकड़े गए, जो अब वहां रहते ही नहीं। ये तो लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रक्रिया है, लेकिन वाशिंगटन पोस्ट ने इसे ‘विवादास्पद’ बता दिया! क्यों? क्योंकि ये राहुल गांधी के प्रोपेगेंडा को सपोर्ट करता है!

अब बात करते हैं अल जजीरा की। क़तर सरकार द्वारा फंडेड ये मीडिया हाउस तो भारत-विरोधी एजेंडे का पुराना खिलाड़ी है। इसने भी INDI गठबंधन के नेताओं के आरोपों को प्रमुखता दी और भारत के इलेक्शन कमीशन पर सवाल उठाए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अल जजीरा का इतिहास क्या रहा है? ये वही अल जजीरा है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों को ‘चरमपंथी गतिविधियां’ बताता है। ये वही अल जजीरा है, जो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को ‘इस्लामोफोबिक’ कहकर दबाने की कोशिश करता है। और अब ये भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठा रहा है!

दोस्तों, ये साफ-साफ साजिश है।””ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (ABC) भी पीछे नहीं रहा। इसने भी बिहार की SIR प्रक्रिया को ‘विवादास्पद’ बताया और राहुल गांधी के दावों को हवा दी। सवाल ये है कि ये सारे विदेशी मीडिया हाउस एक साथ एक ही सुर में क्यों बोल रहे हैं? क्या ये सब राहुल गांधी के इशारे पर हो रहा है? या फिर इसके पीछे कोई और बड़ा एजेंडा है?

“दोस्तों, ये कोई पहली बार नहीं है जब विदेशी मीडिया ने भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाया हो। अल जजीरा, न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट और BBC जैसे मीडिया हाउसेज का इतिहास रहा है भारत की छवि को खराब करने का। चाहे जम्मू-कश्मीर का मसला हो, चाहे बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो, या फिर भारत की आर्थिक प्रगति—ये मीडिया हाउस हमेशा भारत को गलत तरीके से पेश करते हैं।””उदाहरण के लिए, अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को इन मीडिया हाउसेज ने ‘बंदूकधारियों’ की करतूत बताया।

28 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारने वाले आतंकियों को ये लोग ‘मिलिटेंट्स’ या ‘गनमैन’ कहते हैं। अल जजीरा ने तो जम्मू-कश्मीर को ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ लिखकर भारत की संप्रभुता पर ही सवाल उठा दिया। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि ये हमला ‘बिना भेदभाव’ किया गया, जबकि पीड़ितों ने साफ कहा कि हिंदुओं को टारगेट किया गया। दोस्तों, ये लोग भारत की सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, और अब राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के दावे को हवा देकर भारत के लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं!”

“बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को भी अल जजीरा ने ‘इस्लामोफोबिक’ कहकर दबाने की कोशिश की। उसने दावा किया कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले धार्मिक नहीं, बल्कि सियासी कारणों से हो रहे हैं। लेकिन सच क्या है? सच ये है कि हिंदुओं के गांव जलाए जा रहे हैं, उनकी संपत्ति लूटी जा रही है, और अल जजीरा इसे जायज ठहराने की कोशिश कर रहा है। और अब यही अल जजीरा राहुल गांधी के बेबुनियाद दावों को सपोर्ट कर रहा है। सवाल ये है—क्या इन विदेशी मीडिया हाउसेज का मकसद भारत को दुनिया भर में बदनाम करना है?

“अब जरा इस कहानी के उस पहलू पर नजर डालते हैं, जो और भी सनसनीखेज है। राहुल गांधी का विदेशी मीडिया से कनेक्शन! दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि राहुल गांधी की विदेश यात्राओं और इन मीडिया हाउसेज के प्रोपेगेंडा में एक गहरा रिश्ता हो सकता है? अप्रैल 2025 में, एक चौंकाने वाली खबर सामने आई थी। ओपइंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने सैम पित्रोदा के अमेरिका स्थित घर के सर्वर को हैक किया। और क्या पता चला?

राहुल गांधी और सैम पित्रोदा का अमेरिका की शॉर्ट-सेलर फर्म हिंदनबर्ग रिसर्च के साथ लिंक पाया गया, जिसने अडानी ग्रुप और पीएम मोदी को टारगेट करने की कोशिश की थी। दोस्तों, ये कोई छोटी बात नहीं है। अगर राहुल गांधी विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की साजिश रच सकते हैं, तो क्या वो विदेशी मीडिया के साथ मिलकर भारत के लोकतंत्र को बदनाम नहीं कर सकते?””

सोशल मीडिया पर भी लोग इस कनेक्शन को लेकर सवाल उठा रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि जब राहुल गांधी न्यूयॉर्क पहुंचे, तो सैम पित्रोदा उनका स्वागत करने आए थे, और उनके साथ कुछ अमेरिकी लोग थे। क्या ये लोग राहुल को ‘स्क्रिप्ट’ थमाने आए थे? क्या राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ का दावा विदेशी ताकतों की शह पर उठाया गया? दोस्तों, ये सवाल गंभीर हैं, और इनका जवाब जनता को मिलना चाहिए!

“दोस्तों, अब बात करते हैं उस जनता की, जो इस सारे ड्रामे का सबसे बड़ा हिस्सा है। ये वही जनता है, जो हर पांच साल में अपने वोट से देश का भविष्य चुनती है। लेकिन जब राहुल गांधी जैसे नेता बिना सबूत के वोट चोरी का आरोप लगाते हैं, और विदेशी मीडिया उसका भोंपू बन जाता है, तो जनता का भरोसा टूटता है।

लोग पूछ रहे हैं—क्या राहुल गांधी को भारत के लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है? क्या वो अपनी हार का ठीकरा इलेक्शन कमीशन पर फोड़ना चाहते हैं? और सबसे बड़ा सवाल—क्या विदेशी मीडिया भारत की छवि को खराब करने की साजिश में शामिल है?””सोशल मीडिया पर लोग खुलकर अपनी राय रख रहे हैं।

कुछ लोग कहते हैं कि राहुल गांधी का ये दावा सिर्फ सियासी हार को छिपाने की कोशिश है। कुछ लोग कहते हैं कि विदेशी मीडिया का भारत-विरोधी रवैया कोई नई बात नहीं है। लेकिन सच क्या है? सच वही है, जो सबूतों से साबित होता है। और इसीलिए हम कहते हैं—राहुल जी, अगर आपके पास वोट चोरी का सबूत है, तो सामने लाइए। और अगर नहीं है, तो देश से माफी मांगिए!

“तो दोस्तों, अब सवाल ये है कि इस सारे ड्रामे का अंजाम क्या होगा? इलेक्शन कमीशन ने राहुल गांधी से साफ कहा है कि वो अपने आरोपों पर शपथ पत्र दें, या फिर देश से माफी मांगें। लेकिन राहुल जी तो शपथ देने को तैयार ही नहीं हैं। दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार में SIR प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, क्योंकि ये एक सामान्य प्रक्रिया है। फिर भी, विदेशी मीडिया और INDI गठबंधन इस मुद्दे को तूल दे रहे हैं।

सवाल ये है—क्या ये सारी साजिश भारत के लोकतंत्र को कमजोर करने की है? क्या राहुल गांधी और विदेशी मीडिया मिलकर भारत की छवि को दुनिया भर में खराब करना चाहते हैं?””दोस्तों, ये सवाल सिर्फ सियासत के नहीं, बल्कि देश की अस्मिता के हैं। अगर इलेक्शन कमीशन पर सवाल उठ रहे हैं, तो सबूत सामने आने चाहिए। और अगर ये सब बेबुनियाद है, तो राहुल गांधी और उनके विदेशी मीडिया दोस्तों को जवाब देना होगा। जनता की नजरें अब इस मामले पर टिकी हैं।

तो दोस्तों, ये थी राहुल गांधी और विदेशी मीडिया की उस साजिश की कहानी, जो भारत के लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। न्यूयॉर्क टाइम्स, अल जजीरा, वाशिंगटन पोस्ट, और ABC—ये सारे मीडिया हाउस एक साथ राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के प्रोपेगेंडा को हवा दे रहे हैं। लेकिन हमने आज इस साजिश को बेनकाब कर दिया। अब आपकी बारी है। कमेंट में बताइए—क्या आपको लगता है कि राहुल गांधी के दावे बेबुनियाद हैं?

क्या विदेशी मीडिया भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है? हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें, वीडियो को लाइक करें, और शेयर करें, ताकि सच की आवाज हर कोने तक पहुंचे। यदि आपको हमारी विडियो पसंद आई तो हमे आप फ़ोन पे गूगल पे, या पेटीएम के माध्यम से नीचे दिए नम्बर पर सहायता राशि देकर हमे और हमारे चैनल को सशक्त बनायें, अगली बार फिर मिलेंगे, एक और सनसनीखेज खुलासे के साथ। तो बने रहिए हमारे साथ। तब तक के लिए, धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत!

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments