2024 सीरिया के लिए एक निर्णायक साल बनता दिख रहा है, जहां एक ओर देश अपनी पुनर्निर्माण यात्रा की शुरुआत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय ताकतों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और संघर्षों ने भविष्य को और भी अनिश्चित बना दिया है। इस समय, सीरिया एक जटिल भू-राजनीतिक शतरंज का मैदान बन चुका है, जहां प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय खिलाड़ी अपनी चालें चल रहे हैं और इसका परिणाम व्यापक रूप से पश्चिम एशिया पर असर डाल सकता है।
सीरिया का पुनर्निर्माण: एक नई शुरुआत या सिर्फ एक स्वप्न?
सीरिया में, हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व वाली वर्तमान अंतरिम सरकार ने एक निर्वाचित सरकार को अपना रास्ता दे दिया है, और देश का पुनर्निर्माण धीरे-धीरे हो रहा है। यह परिवर्तन सीरिया के लिए एक फीनिक्स की तरह है, जो अपने लंबे और खूनी गृहयुद्ध के बाद पुनः जन्म ले रहा है। लाखों शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित लोग खुशी-खुशी अपने घर लौट रहे हैं, जबकि बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण हो रहा है और निवेशक भी लौट रहे हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सीरिया की अर्थव्यवस्था, जो पहले बशर अल-असद के कुशासन के तहत संकटग्रस्त थी, अब पुनः जीवन की ओर बढ़ रही है।
हालांकि यह आदर्श स्थिति नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से यह सीरिया के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में एक आशाजनक शुरुआत है। इस समय, यह कहना मुश्किल है कि यह विकास पूरी तरह से सफल होगा या नहीं, लेकिन फिलहाल के लिए यह सीरिया के लिए सबसे अच्छा रास्ता हो सकता है।
HTS की विफलता और क्षेत्रीय गुटों का टकराव
दूसरी ओर, HTS के नेतृत्व वाले विद्रोही समूह असद शासन को हटाने के अपने मुख्य उद्देश्य को पूरा करने के बाद आंतरिक संघर्षों और गुटबाजी का सामना कर रहे हैं। HTS के अंदर कई गुटों के बीच सत्ता की होड़ और अराजकता की स्थिति बन गई है। इस बीच, सीरियन नेशनल आर्मी (SNA) और सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (SDF) जैसी अन्य शक्तियाँ अपने प्रभाव को बढ़ा रही हैं और दमिश्क से सत्ता की ओर बढ़ रही हैं। रूस, इज़राइल, अमेरिका, तुर्की और ईरान जैसे बाहरी खिलाड़ी भी अपनी भूमिकाओं को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो रही है।
इन सभी कारकों को देखते हुए, सीरिया के भविष्य के बारे में आशावाद और निराशा दोनों ही परिपूर्ण हैं। वर्तमान में, यह कहा जा सकता है कि सीरिया भू-राजनीतिक शतरंज का एक अत्यधिक अस्थिर मैदान बन चुका है, जहां कोई भी कदम भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है।
असद का पतन: भू-राजनीतिक बदलाव और नए गठबंधन
असद शासन का पतन न सिर्फ सीरिया के लिए, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हुआ है। ईरान के लिए यह स्थिति खासतौर पर मुश्किल है, क्योंकि असद के शासन के बिना उसकी “प्रतिरोध धुरी” और लेबनान में हिजबुल्लाह तक आपूर्ति की लाइन काट दी जाती है। वहीं, इज़राइल ने सीरिया में अपने लक्ष्यों पर कई हवाई हमले किए हैं और गोलान हाइट्स में बस्तियों का विस्तार करने का इरादा जताया है। इससे साफ है कि असद का पतन इज़राइल और ईरान के बीच संघर्ष को और भी बढ़ा सकता है।
इस बीच, अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप भी जारी है, जो इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों को पराजित करने के लिए सीरिया में अपनी सेना तैनात किए हुए है। हालांकि, अमेरिका और उसके सहयोगी अभी भी सीरिया में स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और इसका खामियाजा सीरिया के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।
तुर्की और अन्य क्षेत्रीय शक्तियाँ: बढ़ते प्रभाव और शतरंज की चालें
तुर्की, जो पहले से ही सीरिया में अपने प्रभाव को मजबूत करने के प्रयास में था, अब इस क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बन चुका है। सीरिया के पुनर्निर्माण में तुर्की की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, और उसने 12 साल बाद दमिश्क में अपने दूतावास को फिर से खोलकर एक संकेत दिया है कि वह सीरिया को पुनः स्थिर करने में मदद करने के लिए तैयार है। तुर्की ने सीरियाई राष्ट्रीय सेना (SNA) का समर्थन करते हुए सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) से अपनी दूरी बनाई है, जिसे तुर्की अपने शत्रु, पीकेके से जोड़ता है।
हालांकि, तुर्की और यूरोपीय संघ के लिए दांव बहुत ऊंचे हैं। तुर्की ने सीरिया में शरणार्थियों के संकट से निपटने के लिए बड़ी जिम्मेदारी उठाई है, और यूरोपीय संघ ने शरणार्थियों की सहायता के लिए तुर्की को अतिरिक्त 1 बिलियन डॉलर की धनराशि प्रदान की है। यदि तुर्की इस क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को संतुलित कर पाता है, तो यह न केवल सीरिया के पुनर्निर्माण में मदद करेगा, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया में स्थिरता का एक महत्वपूर्ण घटक बन सकता है।
क्षेत्रीय भू-राजनीतिक संघर्ष: पश्चिम एशिया में निरंतर गतिशीलता
2024 में पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव अपनी चरम सीमा पर पहुँच गए हैं। इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, और इज़राइल और हमास के बीच लगातार हिंसा, पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर रहे हैं। फिलिस्तीनी संकट अब भी अनसुलझा है, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक ठोस समाधान खोजने की चुनौती बनी हुई है।
इस संघर्ष का सबसे बड़ा परिणाम यह हो सकता है कि क्षेत्रीय देशों के बीच राजनीतिक संबंधों में तनाव बढ़े और नए गठबंधन बनने के प्रयास तेज़ हों। विशेष रूप से, सऊदी अरब और इज़राइल के बीच संबंधों में सुधार के प्रयास पटरी से उतर सकते हैं, जैसा कि अब्राहम समझौते के तहत हुआ था।
2025: एक नए युग की शुरुआत या संकट का विस्तार?
2025 सीरिया और पूरे पश्चिम एशिया के लिए एक निर्णायक वर्ष हो सकता है। क्षेत्रीय शक्तियाँ, विशेष रूप से तुर्की, ईरान, और सऊदी अरब, अपनी भूमिका को पुनः स्थापित करने के लिए संघर्ष करेंगे। वहीं, अमेरिका और रूस जैसे वैश्विक खिलाड़ी भी इस क्षेत्र में अपनी प्रभावशीलता को बनाए रखने की कोशिश करेंगे।
इसलिए, अगले कुछ वर्षों में सीरिया और पश्चिम एशिया की राजनीति को बहुत निकटता से देखा जाएगा, क्योंकि इसका प्रभाव न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक भू-राजनीति पर भी पड़ेगा। 2024 में आए इन महत्वपूर्ण बदलावों को देखते हुए, आने वाले समय में इस क्षेत्र का भविष्य और भी अधिक अनिश्चित और गतिशील होता जाएगा।