उत्तर प्रदेश के संभल में जो कुछ भी हुआ वह कुछ लोग जो गंगा जमुनी तहजीब की दुहाई देते हैं उनके गले पर करारा तमाचा है क्योंकि संभल की रियल फ़ुटेज से होश उड़ाने वाला दृश्य! संभल का जो मामला था उसमें कोर्ट ने मस्जिद को सर्वे के लिए प्रशासन को आदेश दिए थे प्रशासन कोर्ट के द्वारा दिए गए आर्डर का पालन कर रहा था और रविवार की सुबह 7:00 बजे टीम पहुंचती है और अपना सर्वे का काम प्रारंभ करती है सर्वे हो जाता है लेकिन सबके बीच बाहर का माहौल कुछ अलग ही होता है पूरे शहर में माहौल बनाया जाता है उसके बाद दंगाई भीड़ पहुंचती है मस्जिद के सामने और फिर शुरू होता है घिनौना खेल! हम आपको इस लेख में बताएंगे, कि आखिर किस प्रकार से पूरा घटनाक्रम हुआ और कैसे कांग्रेस के द्वारा बनाए गए कानून ने इस पूरे फसाद की जड़ को पैदा किया!
संभल का पूरा घटना क्रम!
इससे पहले हम उसे कानून के बारे में बात करें आपको बता देते हैं पूरा घटनाक्रम, दरअसल जब 11:00 बजे टीम सर्वे करके मस्जिद से बाहर निकलती है तो कुछ लोग धक्का मुक्के शुरू कर देते हैं धक्का मुक्की तो नॉर्मल था लेकिन उसके बाद का नजारा कुछ अलग ही होता है पुलिस प्रशासन एक तरफ होता है और दूसरी तरफ दंगाई भीड़! दंगाई भीड़ के बीच में पत्थर बाजी शुरू होती है और सामने की तरफ बच्चों को खड़ा कर दिया जाता है! तो नजारा कुछ ऐसा था की एक तरफ तो पुलिस प्रशासन जो चौकन्ना था और दूसरी तरफ बच्चों को सामने करके नपुंसक भीड़ में पीछे छुपे हुए पत्थर बाजी कर रहे थे इस पूरे घटनाक्रम में चार लोगों की मौत हो गई और 20 पुलिस वाले घायल लोग इसके अलावा चार अधिकारी बिग घायल हुए! अब इन सब के बाद हालात वहां के सामान्य बताई जा रहे हैं लेकिन इंटरनेट कनेक्शन को बंद कर दिया गया है!
क्या यही है गंगा जमुनी तहजीब?
मैंने शुरुआत में जब यहां पर गंगा जमुनी तहजीब की दुहाई देने वाले आज बिल में घुसे बैठे हैं क्योंकि अगर हम पूरे मामले की तरफ देखें तो इसमें हिंदू और मुस्लिम एंगल तो था ही नहीं इसमें कोर्ट फैसला सुनाते हैं और अधिकारियों से कहता है कि आप जाकर के मस्जिद का सर्वे करिए आधिकारिक कोर्ट के आदेश का पालन करवाने के लिए मस्जिद के अंदर जाते हैं और सर्वे का काम करते हैं अब ऐसे में कोई भी हिंदू या हिंदू की भीड़ इसमें नहीं जाहिर सी बात है मस्जिद का सर्वे हो रहा था तो मुसलमान की भीड़ पूरी तरह से उकसा करके उन्हें भेजी गई !
अब आपसे हम कुछ सवाल पूछना चाहते हैं सवाल यह है कि क्या आपने कभी भी किसी भी ताजिए के ईद में या मुस्लिम के किसी भी त्यौहार पर हिंदुओं का पथराव करते हुए देखा है आपने? सवाल जायज है क्योंकि कभी भी इस तरह से हमने घटना नहीं सुनी! परंतु हिंदू की शोभायात्रा जिस एरिया में मुस्लिम रहते हैं उसे एरिया से कोई शोभायात्रा निकाली जाए इस तरह के इतिहास हमेशा प्रशासन को बरतने पड़ते हैं! तो आखिर कहां गई गंगा जमुना तहजीब यह बड़ा सवाल है?
वर्शिप ऐक्ट ने फँसाया पेंच!
अब आपको बता देते हैं आखिरकार यह पूरा मामला जो मौलाना बता रहे हैं कि आखिर वह मस्जिद ही है क्योंकि हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि वह मंदिर मुस्लिम पक्ष के पास सिर्फ एक ही दवा है एक ही सबूत है वह है क्योंकि कांग्रेस सरकार ने 1991 में वर्शिप एक्ट लेकर आई थी यह वही वरशिप एक्ट है जिसमें कहा गया की 1947 के बाद जो भी धार्मिक स्थल जिसके पास है वह उसी के पास रहेंगे यानी उसका धार्मिक स्वरूप परिवर्तित नहीं किया जा सकता है!
अब यह वरशिप एक्ट लाया क्यों गया?
क्या है वर्शिप ऐक्ट?
वरशिप एक्ट लाने का एक प्रमुख कार्य यह था 1991 में राम मंदिर का आंदोलन बड़ा तेज था और बाबरी मस्जिद विध्वंस 1992 में हुआ था यानी कि हिंदू समुदाय जाग रहा था और उसे अपने मंदिरों की चिंता हो रही थी और वह चाहता था कि जो भी मंदिर उसके पास इतिहास में तोड़कर के मस्जिद को बना दिए गए थे उन्हें पुनर्जीवित किया जाए और अपनी संस्कृति को फिर से जागृत की जाए! ऐसे में सोनिया गांधी ने उसे समय सत्ता संभाली प्रधानमंत्री तो पीवी नरसिंग राव बन गए लेकिन सोनिया गांधी राजीव गांधी की हत्या के बाद पहली बार सुपर पावर में आई थी ऐसे में जानकारी का यह मानना है कि सोनिया गांधी को लगा कि हिंदू जाग रहा है और अगर इसी तरह से चला रहा तो फिर बहुत सारे परिवर्तन हो जाएंगे! आप शायद मेरा इशारा समझ गए होंगे! इसीलिए वरशिप एक्ट संसद में पास कर लिया गया! अब हमने आपको वरशिप एक्ट के बारे में सब कुछ बता दिया!
मौलानाओं को वरशिप एक्ट का हथियार!
मौलनाओ का हथियार बना वर्शिप ऐक्ट!
जी हां संभल में हुए पूरे घटनाक्रम में जब मौलानाओं से बात करें तो मौलाना कहते हैं कि यह पूरी तरह से वरशिप एक्ट 1991 का जो नियम है उसका उल्लंघन है अमूमन हम देखते हैं कि जब भी किसी के ऊपर कोई कैसे होता है तो उसके लिए वह सबूत इकट्ठा करता है या सबूत कोर्ट में पेश करता है परंतु यहां पर सबूत नहीं केवल एक कानून का हवाला देकर के की वरशिप एक्ट ऐसा कहता है कि किसी की भी धार्मिक प्रवृत्ति को बदली नहीं जा सकती है
दावा-बाबर ने तुड़वाया था इस मंदिर को 1530 में!
इसीलिए यह मस्जिद है अब इसे कहां तक आप उचित समझते हैं जबकि हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि वहां पर मंदिर 1530 के आसपास बाबर के द्वारा तोड़ा गया था यह वही बाबर है जो 1528 ईस्वी में मीर बाकी से भगवान राम के भव्य मंदिर को तोप से उड़वा देता है और उसे जगह पर बाबरी मस्जिद बना देता है जबकि जब हम इस्लाम में जाते हैं तो इस्लाम में किसी भी मस्जिद का नाम किसी के नाम से नहीं हो सकता यानी कि बाबरी मस्जिद कतई भी इबादत का स्थान नहीं हो सकता क्योंकि वह बाबर के नाम से बना हुआ था अब हम आपको 1530 में लिए चलते हैं जहां का एक जिक्र किया जा रहा है और 1530 ईस्वी में ही इस मंदिर को तुड़वा करके वहां पर आज जो मस्जिद है उसे बनाया गया था जिस बात का दवा हिंदू पक्ष कर रहा है!